शीश गंग अर्धंग पार्वतीshesh gang adheg parvaaati
शीश गंग अर्धंग पार्वतीshesh gang adheg parvaaati शीश गंग अर्धंग पार्वती, सदा विराजत कैलासी, नंदी भृंगी नृत्य करत हैं, धरत ध्यान सुर सुखरासी, शीतल मन्द सुगन्ध पवन, बह बैठे हैं शिव अविनाशी, करत गान-गन्धर्व सप्त स्वर, राग रागिनी मधुरासी, यक्ष-रक्ष-भैरव जहँ डोलत, बोलत हैं वनके वासी, कोयल शब्द सुनावत सुन्दर, भ्रमर करत हैं गुंजा-सी, कल्पद्रुम … Read more