तेरी भंग ना घोट के लाउteri bhaang naa ghot ke laau
तेरी भंग ना घोट के लाउteri bhaang naa ghot ke laau तेरी भंग ना घोट के लाउ मैं तो पीहर ने जानू लौट के फिर न मैं आऊ, मैं मेहलो में रेहने वाली तू वन में रेहने आला मैं छपन भोग लगाऊ तू कंध मूल खाने आला चाहे जिनता जोर लगा ले तेरी बाता में … Read more