जितने तारे अंबर मेंjitne taare ambar me
जितने तारे अंबर मेंjitne taare ambar me जितने तारे अंबर में मेरी चुनरी में जड़वा दे ओ, मेरे भोले भंडारी मेरी लहंगा चुनरी लाई दे ओ॥ रोटी बनाओ शर्म लागे मेरे घर होटल खुल वायदे ओ, मेरे भोले भंडारी मेरी लहंगा चुनरी लाई दे ओ॥ पानी खीचू शर्म लागे मोहे, घर सिमरी लगवाए दे ओ, … Read more