गौरी शंकरgauri shankar

गौरी शंकरgauri shankar हे शिव ध्यानी औघड़ ज्ञानी, ध्यान को छोड़के मुझसे, कभी तो तू ध्यान दे, बरसो से बैठी चरणो में तेरे, संग बैठने का मुझको जग में तू मान दे, जब जब कष्ट है आया तीनो लोक में, तूने हारा उसे ओ नाथ रे, मेरे भी कस्ट को हरले तू भोले, मुझको देदे … Read more