आदियोगीAdiyogi

आदियोगीAdiyogi दूर उस आकाश की गहराइयों में इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी योग के इस स्पर्श से अब योगमय करना है तन मन सांस शाश्वत सनन सननन प्राण गुंजन घनन घननन उतरे मुझ में आदियोगी योग धारा छलक छनछन सांस … Read more