anuradha paudwal gayatri mantra

anuradha paudwal gayatri mantra


 

गायत्री मंत्र हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है।
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

इस मंत्र का हिंदी अनुवाद है – हे प्रभु, कृपया हमारी बुद्धि को प्रकाशमय बनाएं और हमें सही धर्म का मार्ग दिखाएं। यह मंत्र सूर्य देवता के प्रति एक प्रार्थना के रूप में भी मान्यता प्राप्त करता है।

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के प्रदाता हैं
आप हमारे दुःख और पीड़ा को दूर करने वाले हैं
आप हमें सुख और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के निर्माता
हमें शक्ति दीजिए ताकि हम आपकी प्रख्यात शक्ति प्राप्त कर सकें
कृपया हमारी बुद्धि को सही मार्ग दिखाएं

मंत्र के प्रत्येक शब्द का हिंदी व्याख्या:

गायत्री मंत्र के प्रथम नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = जीव को प्राण प्रदान करने वाला
भुवः = दुःखों का नाश करने वाला
स्वः = सुख प्रदान करने वाला
तत् = वह
सवितुर् = सूर्य के समान उज्ज्वल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्यः = प्रभु का
धीमहि = आत्म-चिंतन के योग्य (ध्यान करें)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें प्रेरित करें

गायत्री मंत्र एक अत्यंत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंत्र है जिसे हिन्दी भाषा में लिखा और पढ़ा जाता है। यह हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गायत्री मंत्र की प्राचीनता को लेकर कई धारणाएं हैं, लेकिन इसका प्रमुख स्रोत ऋग्वेद माना जाता है।

गायत्री मंत्र का पाठ ध्यान और आध्यात्मिकता को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह मंत्र सूर्य देवता को समर्पित है और उसकी प्रशंसा करता है। गायत्री मंत्र का वर्णन विभिन्न उपास्य रूपों में होता है, परंपरागत रूप से इसे तीन लाइनों में व्यक्त किया जाता है।

गायत्री मंत्र का पाठ करने से हमें ब्रह्मज्ञान, ब्रह्मविद्या, और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसके द्वारा हम अपने मन को शुद्ध कर सकते हैं और चित्त को शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह मंत्र हमें सामर्थ्य और उद्धारशक्ति प्रदान करता है और स्वयं को ऊँचा और दिव्य महसूस करने में सहायता करता है।

गायत्री मंत्र का पाठ करने के लिए सबसे अच्छा समय सूर्योदय के बाद होता है। ध्यान करते समय हमें एक सुखद और शांतिपूर्ण वातावरण में बैठना चाहिए। गायत्री मंत्र को स्वयं को देवताओं के आदिरूप में समझना चाहिए और इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ पाठ करना चाहिए।

गायत्री मंत्र का पाठ करने से हमें शांति, सुख, समृद्धि, और आनंद की प्राप्ति होती है। यह हमारे मन को स्थिर करता है और हमें आत्मिक और मानसिक उन्नति की ओर ले जाता है। गायत्री मंत्र का पाठ हमारी आत्मा को प्रकाशित करता है और हमें आत्मसात करने में मदद करता है।

गायत्री मंत्र का पाठ ध्यान, आनंद, और शक्ति की अनुभूति कराता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। गायत्री मंत्र हमें ब्रह्मचर्य, सत्यनिष्ठा, और संतुलन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

गायत्री मंत्र हमारे मन, शरीर, और आत्मा को पुनर्जीवित करता है और हमें दिव्य चेतना और प्रकाश के साथ जीने की शक्ति प्रदान करता है। इसका पाठ करने से हम अपने जीवन को सद्गति के मार्ग पर ले जाते हैं और आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति करते हैं।

गायत्री मंत्र का पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह सभी को अनुशासन, तपस्या, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है। इस मंत्र की महिमा और अद्भुत शक्ति को समझने के लिए हमें निरंतर इसका पाठ करना चाहिए। गायत्री मंत्र हमारे जीवन को आनंद, शांति, और उच्चता की ओर ले जाता है और हमें आध्यात्मिक संयम और स्वयं पर नियंत्रण रखने में मदद करता है।

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