काशी के वासी है अविनाशीkashi ke vasi hai avinashi

काशी के वासी है अविनाशीkashi ke vasi hai avinashi

हर हर हर हर भोले,
काशी के वासी है अविनाशी,
दुःख भंगन सुख करता,
काशी के वासी है अविनाशी,
दुःख भंगन सुख करता,
विश्य धर रे शम्भू परनेश्वर अलख निरंजन करता,
दया के द्रिष्टि रखना हम पर,
हे भुतेश्वर बाबा…..

हर हर हर हर भोले,
विषयो से दूर हो तुम रिश्ता समेटे हुए,
माया का छोड़ हो तुम सर्प लपेटे हुए,
हर हर भोले हर हर भोले,
विषयो से दूर हो तुम रिश्ता समेटे हुए,
माया का छोड़ हो तुम सर्प लपेटे हुए,
आखो में है तप तेरे सर पे गंगा साजे है,
कानो में है कुण्डल और गले पे मुंड विराजे है,
आखो में है तप तेरे सर पे गंगा साजे है,
कानो में है कुण्डल और गलेपे मुंड विराजे है,
काशी के वासी है अविनाशी,
दुःख भंगन सुख करता,
विश्य धर रे  शम्भू परनेश्वर अलख निरंजन करता,
दया के द्रिष्टि रखना हम पर,
हे भुतेश्वर बाबा…..

देवो में महादेव तुम भोले बाबा ज्ञानी हो,
भक्तो का कल्याण करते बकङ बाबा दानी हो,
देवो में महादेव तुम भोले बाबा ज्ञानी हो,
भक्तो का कल्याण करते बकङ बाबा दानी हो,
भांग धतूरा बड़े चाव से जो तुजको चढ़ाते है,
तेरी शरण में जोभी आते दुःख सरे मिट जाते है,
भांग धतूरा बड़े चाव से जो तुजको चढ़ाते है,
तेरी शरण में जोभी आते दुःख सरे मिट जाते है,
काशी के वासी है अविनाशी,
दुःख भंगन सुख करता,
विश्य धर रे  शम्भू परनेश्वर अलख निरंजन करता,
दया के द्रिष्टि रखना हम पर,
हे भुतेश्वर बाबा…..

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