श्री संपूर्ण हनुमान चालीसा : Hanuman Chalisa Hindi l Hanuman Chalisa Lyrics l Free Hanuman Chalisa Hindi PDF

Hanuman Chalisa Hindi: इस वेबसाइट पर आपको श्री हनुमान चालीसा और हनुमान जी से जुड़ी चीजें मिलेंगी, जैसे श्री हनुमान चालीसा लिरिक्स, फोटो और पीडीएफ, हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में उपलब्ध मिलेंगे, हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक भजन है जिसे तुलसीदास ने संस्कृत में लिखा था। यह 40 श्लोकों (चालीसा) से मिलकर बनी है और हिन्दू धर्म के अनुयायियों द्वारा बड़े भक्ति भाव से पठित की जाती है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी के गुण, महिमा, और उनकी भक्ति की महत्वपूर्ण कहानियों की प्रशंसा है।

Table of Contents

Hanuman Chalisa Instrumental Song

Hanuman Chalisa Lyrics

 दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि |
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||

“श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।”

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||

“हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।”

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥

“श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।”

राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥

 “हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।”

महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥

 “हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।”

कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥

 “आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।”

हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे,
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥

 “आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।”

शंकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥

 “हे शंकर के अवतार!हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।”

विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर॥7॥

 “आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।”

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया॥8॥

 “आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।”

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥

 “आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।”

भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥

 “आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।”

लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥

“आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।”

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥

 “श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।”

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥

 “श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।”

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥

 “श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।”

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥

 “यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।”

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥

 “आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया , जिसके कारण वे राजा बने।”

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥

 “आपके उपदेश का विभीषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।”

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥

 “जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे।दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।”

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥

 “आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।”

दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

 “संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।”

राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥21॥

 “श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।”

सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥

 “जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।”

आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥

 “आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।”

भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै॥24॥

 “जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।”

नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥

 “वीर हनुमान जी!आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है, और सब पीड़ा मिट जाती है।”

संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥

 “हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।”

सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥

 “तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।”

और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

 “जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।”

चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ 29॥

“चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।”

साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

 “हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।”

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता॥31॥

 “आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।”

राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

 “आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।”

तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

“आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।”

अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥ 34॥

 “अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।”

और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥

 “हे हनुमान जी!आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।”

संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

 “हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।”

जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥

 “हे स्वामी हनुमान जी!आपकी जय हो, जय हो, जय हो!आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।”

जो सत बार पाठ कर कोई,
छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥

 “जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।”

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ 39॥

 “भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।”

तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥

 “हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।”

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभुप॥

 “हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरूप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।”


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Hanuman Chalisa

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“यह हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले श्रीराम जी का ध्यान अवश्य करे”

दोस्तो नीचे भी हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, बजरंग बाण और आरती भी है आप चाहे तो इसे इमेज के रूप में पुस्तक की तरह पड़ सकते हो।

हनुमान चालीसा

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे :

दोस्तो हम सब हनुमान चालीसा पढ़ते है लेकिन क्या आप जानते है हनुमान चालीसा पढ़ने से हमारे जीवन में क्या क्या उन्नति और हमे फायदा मिलने लगते है। उसमे गोस्वामी तुलसी दास जी ने स्पष्ट लिख है “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता” अर्थात सिद्धि मतलब ज्ञान वैराग्य और कीर्ति तथा दैवीय ऊर्जा और निधि मतलब दुनिया के सारे भौतिक सुख सुविधा धन इत्यादि। लेकिन इतना तक सीमित नहीं गोस्वामी ने और कहा है – नाशय रोग हरे सब पीरा अर्थात रोगों को दूर करता है हनुमान चालीसा और हमे पढ़ने से स्वस्थ लाभ प्रदान करता है। को मनुष्य हनुमान चालीसा पढ़ते है वह दीर्घायु हो जाता है, आइए विस्तार से जानते है हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे।

1. हनुमान चालीसा पढ़ने से कभी अकाल मृत्यु नहीं होता है। हनुमान जी सहायक रूप में हमेशा मदद करते है।

2. हनुमान चालीसा पढ़ने से दुर्घटना नही होती है, हनुमान जी ऊर्जा रूप में अपने भक्तो की सहायता अवश्य करते है, क्युकी हनुमान जी को माता सीता का वरदान है वह एक ही समय में अनेक स्थानों पर उपस्थित रह सकता है।

3. हनुमान चालीसा पढ़ने से बुद्धि तीव्र होता है क्युकी हनुमान जी को बुद्धि और बल का दाता कहा जाता है।

4. हनुमान चालीसा पढ़ने से भूत प्रेत ऊपरी बाधा से आत्म सुरक्षा प्राप्त होता है। और जिसे भूत प्रेत व्याधि लगा हो उसके सामने पढ़े तो भूत प्रेत शरीर को छोड़कर भाग जाते है।

5. हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमान जी के साथ राम जी और शिव पार्वती प्रश्न होता है तथा मनुष्य को सुख शांति और भौतिक सुख प्रदान करते है।

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा कब पढ़े

1. हनुमान चालीसा कभी भी पढ़ा जा सकता है किंतु अगर कोई समस्या हो तो संकल्प लेकर पढ़ने से अत्यंत लाभ मिलता है।

2. हनुमान चालीसा पढ़ने का सबसे अच्छा समय रात्रि 9 बजे के बाद होता है क्युकी रात्रि 9 बजे के बाद हनुमान जी प्रभु राम के शिवा से मुक्त होता है अर्थात जब प्रभु राम रात्रि में विश्राम करे और उस समय अगर आप हनुमान चालीसा पढ़े तो हनुमान जी जल्दी पुकार सुनते है।

3. हनुमान चालीसा पढ़ने का सबसे अच्छा समय मंगलवार शनिवार और ब्रम्ह मुहूर्त होता है। इस दिन प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप में हनुमान जी पढ़ने वाले के साथ में ऊर्जा रूप में रहते है।

हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले क्या सावधानी बरते

1. हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa पढ़ने से पहने हाथ पैर धोकर शुद्ध हो जाय तत्पक्षात शुद्ध आसन बिछाकर धूप दीप जलाए फिर राम जी का ध्यान करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करे।

2. हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa पढ़ने से पहले राम जी का ध्यान और नाम जाप अत्यंत आवश्यक है क्युकी हनुमान चालीसा पढ़ने से शरीर में अत्यंत क्रोध आता है।

3. हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa पढ़ते हो तो मांस मछली तथा तामसिक भोजन का परित्याग कर दे अन्यथा हनुमान जी महराज दंड देने में तनिक विलंब नही करते। हनुमान पूजा में पूर्ण पवित्र और ब्रम्चर्य का पालन अत्यंत आवश्यक होता है।

हनुमान चालीसा क्या लड़किया भी पड़ सकती है

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा कोई भी लड़की या महिला पड़ सकती है किंतु मासिक धर्म होने पर न पढ़े अन्यथा घोर पाप लगता है। क्युकी हनुमान चालीसा पढ़ने पर मनुष्य के अंदर हनुमत सक्ति का संचार होता है और हनुमान जी परम ब्रम्हचारी है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखे।

हनुमान चालीसा मंदिर में पढ़ना अच्छा होता है या घर में

दोस्तो हनुमान चालीसा मंदिर में पढ़े तो अत्यंत लाभकारी होता है, घर में मंदिर हो तो पड़ सकते हो, और अगर नही हो तो साफ स्वच्छ वस्त्र बिछाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। मंदिर में हनुमान चालीसा पढ़ने से इसलिए जायदा फलकारी है क्युकी आप के जैसे अनेकों लोगो ने वहा आकार चालीसा पढ़े है और जिस स्थान पर जितना ज्यादा मंत्र या चालीसा का पाठ होता है वह केवल सच्चे मन से एक पाठ कर दो तो सारे मनोकामना पूर्ण हो जाते है। क्युकी वहां सब की ऊर्जा सक्ति निहित होती है जितने लोगो ने पाठ किया है। इसलिए कोई विशेष मनोकामना हो तो मंदिर पर पढ़ना अत्यंत शुभ और सुफल होता है।

हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद क्या करे

हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद सभी हनुमान भक्त को राम नाम का जाप करना चाहिए । क्युकी हनुमान चालीसा पढ़ने से शरीर में हनुमान जी का तेज आ जाता है और इसे संभलना मुश्किल होता है इसलिए अपने देख होगा कई लोग हनुमान चालीसा पढ़कर पागल भी हो जाते है।

जो लोग राम नाम का जाप करते है वह सहज ही हनुमान जी के तेज को संभाल लेते है। एक और बात हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद राम नाम जाप करने से राम जी भी प्रसन्न होते है और हनुमान जी तो और अत्यधिक खुश हो जाते है। इसलिए जो राम का नाम करते हुए हनुमान चालीसा पढ़े उसे हनुमान जी सब कुछ देने के लिए मजबूर हो जाते है और अपना सर्वस्व निक्षावर कर देते है।

हनुमान चालीसा पढ़ने के पहले भोग लगाय या हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद

दोस्तो भोग हमेशा आरती से पहले लगाया जाता है उसी प्रकार हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले हनुमान जी को भोग लगाते और उन्हें बोले की प्रभु मैं “अमुक” मनोकामना पूर्ण हेतु हनुमान चालीसा पढूंगा।

क्या रोज हनुमान चालीसा पढ़ा जा सकता है

दोस्तो अगर आपके पास टाइम है तो आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ सकते हो, हनुमान चालीसा पढ़ने से मंगल ही मंगल होने लगता है जीवन में, फिर भी अगर समय का अभाव हो तो शनिवार या मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक हनुमान भक्त हो अवश्य ही करना चाहिए।

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हनुमान चालीसा की पाठ कितने दिन करने से लाभ मिलता है?

हनुमान चालीसा अलग अलग कार्यों के लिए अलग अलग तरीके से पढ़ा जाता है फिर भी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए कम से कम हनुमान चालीसा 21 दिनों तक पाठ अवश्य किया जाय। किंतु अगर 41 दिन तक हनुमान चालीसा लगातार पढ़ा जाए तो उसके फल कई गुना मिलते है, और जिस मनोकामना के लिए हनुमान चालीसा की पाठ कर रहे है वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होता है।

हनुमान चालीसा पढ़कर क्या मांस मछली या तामसिक आहार किया जा सकता है?

आज भी कई ऐसे लोग है जो हनुमान चालीसा की पाठ करते है और शराब पीते है, इसे लोगो को कहना चाहूंगा इनपर एक साथ अचानक विपत्तियों का पहाड़ फुट जाता है। क्युकी जो लोग शराब मांस खाकर भगवान हनुमान को भजते है ऐसे लोगो पर मंगल की भयानक दशा कब लग जाय कोई ठिकाना नहीं। ऐसे लोग स्वयं की पैर पर कुल्हाड़ी मारते है। इनके जीवन बर्बाद हो जाता है। एक बात और जान ले हनुमान चालीसा पाठ कर्ता को सात्विकता का पूरे पाठ के दौरान अवश्य ही पालन करना चाहिए।

हनुमान चालीसा पढ़ते समय कौन सा दीपक जलाए?

हनुमान चालीसा अगर शत्रु नाश के लिए पढ़ा जाए तो सरसो तेल का दीपक जलाना अति उत्तम माना जाता है या काला तिल का दीपक जलाना श्रेष्ठ माना जाता है। कार्य सिद्धि या मनोकामना के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए घी का दीपक जलाए तो अति उत्तम होगा।

हनुमान चालीसा की प्रयोग कैसे करे?

दोस्तो हनुमान चालीसा की प्रयोग आज जान ही लो वर्ना केवल हनुमान चालीसा अपलोगो के लिए पाठ मात्र का किताब रह जायेगा। हनुमान चालीसा में लिखा है ‘जो पढ़े यह हनुमान चालीसा होय सिद्ध शाखी गौरीसा’ अर्थात जो भी व्यक्ति यह हनुमान चालीसा पढ़ेगा उसके है कार्य सिद्ध होगा –

1. भूत प्रेत नकारक्तम सक्ति को घर से भागने या किसी की ऊपर से हटाने के लिए हनुमान चालीसा को पढ़कर एक गिलास सादे पानी में 7 बार फूक मारकर पिलादे तो नकारात्मक सक्ति छोड़ देगा। भूत प्रेत बाधा 3 से 4 बार के प्रयोग से ठीक हो जायेगा वैसे एक ही बार में भूत प्रेत की बाधा टल जाती है। घर से नकारात्म सक्ति हटाने के लिए भूप का धुआं दिखाते हुए यह चौपाई बोलते जाय – भूत पिसाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे। नसे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

2. घर से कलह और गरीबी कंगाली कष्ट भागने के लिए इस चौपाई को गुनगुनाते हुए या बोलते हुए गुग्गुल का धुआं दिखाए या धूप का धुआं – जय जय जय हनुमान गुसाईं कृपा करहू गुरुदेव की नाई।

3. सिद्धि प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा की पांच या सात पाठ करने के बाद हनुमान को लड्डू का भोग लगाए और बीरापान चढ़ाए तथा लंगोट खड़ाऊ, जनेऊ, राम लिखा ध्वजा आदि अर्पित करके संकल्प लेकर 21 दिनों तक सच्चे दिल से पाठ करे तो अवश्य ही सिद्धि की प्राप्ति होता है

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