श्री राम चंद्र जी की आरती | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics

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Aarti Shri Ram Ji Ki: आरती भगवान रामचंद्रजी की, श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्। नियमित इस आरती का गायन करने से प्रभु राम की असीम कृपा होती है और घर में सुख शांति का वास होता है।

Shri Ram Ji ki Aarti Lyrics In Hindi, Aarti Keeje Shri Raamalala ki Poon Nipun Dhanuved kala Ki: भगवान राम को श्री विष्णु का अवतार माना जाता है। मर्यादापुरुषोत्तम राम आज अपने जन्म स्थान अयोध्या में विराजित हो गए हैं। बहुत ही धूमधाम के साथ राम मंदिर में रामलला के बाल स्वरूप को विराजित किया गया है। इस खास मौके पर आप भी घर में रहकर श्री राम की विधिवत पूजा कर सकते हैं। इसके साथ ही पूजा करने के अंत में इन आरती को अवश्य पढ़ें। आइए जानते हैं श्री राम की आरती…

श्री राम आरती

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं।।
कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील – नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन।
रधुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं।।

सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां।
आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं।
मम हृदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं।।

मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।

एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।

दोहा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

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श्री राम की दूसरी आरती

आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।
शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।
खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।
देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।
धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।

श्री राम की तीसरी आरती

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

आरती श्री रामचन्द्रजी

आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि॥
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की॥
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति॥
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की॥
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी॥
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की॥

श्री रामाष्टकः

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।

श्री राम चंद्र जी की आरती भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। राम जी को हमारे अवतारी भगवान के रूप में जाना जाता है जो संसार को भक्ति, शांति और समझदारी की शिक्षा देते हुए मानवता के लिए आदर्श बने। राम जी की आरती करने से उन्हें स्मरण करने में और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सुख मिलता है। श्री राम चंद्र जी की आरती को प्रतिदिन करने से जीवन को धन, समृद्धि, स्वस्थता और सफलता की ओर ले जाने में मदद मिलती है।

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Some FAQs

श्रीराम जी का पूरा नाम क्या है?

अब बात करते है भगवान श्रीराम के असली नाम की, भगवान श्री राम का असली और वास्तविक नाम दशरथ राघव था। अहिंकार रावण का वध करने के बाद उन्हें राम चंद्र नाम दिया गया था।

राम आरती के रचनाकार कौन है?

दशहरा विशेष: तुलसीदास कृत राम की आरती ‘श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन’

राम दिखने में कैसे थे?

आइए जानते हैं तुलसीदास और वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण के आधार पर भगवान राम का स्वरूप कैसा दिखता था। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में बताया है कि, भगवान श्री राम का चेहरा एकदम चंद्रमा की तरह चमकीला, सौम्य, कोमल और सुंदर था। उनकी आंखे कमल की भांति खबसूरत और बड़ी थी। उनकी नाक उनके चेहरे की तरह ही लंबी और सुडौल थी

राम जी कौन सी जाती थी?

हिन्दू धर्म में, श्री राम को “क्षत्रिय” जाति का माना जाता है। वे सूर्यवंशी (सूर्य के वंशज) इक्श्वाकु वंश के राजा दशरथ के पुत्र थे। इसलिए वे क्षत्रिय जाति से सम्बद्ध थे और अयोध्या के राजा के रूप में जाने जाते हैं।

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