शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही हैshiv bhole ki kirpa se duniya ye chal rahi hai

शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही हैshiv bhole ki kirpa se duniya ye chal rahi hai

शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,
भगतो की सोइ किस्मत पल में बदल रही है,
शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,

हुआ जब समुन्दर मंथन निकला था विष हला हल,
पे गये थे विष को सारे तुम नील कंठ बन कर,
भोले की देख लीला हैरानी हो रही है,
शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,

आकश से जो निकली गंगा की तेज धारा,
किया था जटा में धारण पृथ्वी  को था उभारा,
पीछे तो भागी रथ के माँ गंगा चल रही है,
शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,

असुरो को वर है देते कहलाते हो भंडारी,
बस्मा सुर जल्नधर वरदान पाए भंडारी,
रावण ने पाई लंका किस्मत बदल रही है,
शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,

धन धान सब को बांटे खुद हाल है फकीरी,
दिया सोना चांदी सब को मृग शाल खुद लपेटी,
तेरी दया से दुनिया भण्डार भर रही है,
शिव भोले की किरपा से दुनिया ये चल रही है,

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