शिव चालीसा – shiv chalisa: शिव चालीसा शिव पुराण से लिया गया है जिसमें 24 हजार श्लोक हैं। शिव चालीसा में 40 पंक्तियां होती हैं जो देवों के देव महादेव शिव की स्तुतिगान हैं। यह पवित्र ग्रंथ देववाणी संस्कृत में लिखी गई है और शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास हैं। शिव चालीसा का पाठ महादेव को प्रसन्न करने का बेहद ही प्रभावशाली उपाय है। इसे चालीस बार लयबद्ध पाठ करने से भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और इससे भक्तों को चमत्कारिक लाभ मिलते हैं।
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Shiv Chalisa video
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
|| चौपाई||
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥ॐ॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥ॐ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये॥ॐ॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ॐ॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ॐ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ॐ॥
नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ॐ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ॐ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ॐ॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ॐ॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥ॐ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ॐ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ॐ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ॐ॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ॐ॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ॐ॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ॐ॥
कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई॥ॐ॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ॐ॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ॐ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ॐ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ॐ॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ॐ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ॐ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ॐ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ॐ॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ॐ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ॐ॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ॐ॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ॐ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥ॐ॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ॐ॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई॥ॐ॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ॐ॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ॐ॥
पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ॐ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥ॐ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ॐ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥ॐ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ॐ॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा॥ॐ॥
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥ॐ॥
मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान॥ॐ॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ॐ॥
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शिव आरती – Shiv aarti (Om jai Shiv Omkara)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ॥ॐ॥
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ॥ॐ॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे॥ॐ॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ॥ॐ॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ॥ॐ॥
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ॥ॐ॥
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ॥ॐ॥
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ॥ॐ॥
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ॥ॐ॥
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥ॐ॥
शिव चालीसा पाठ के नियम (Shiv Chalisa Path Niyam):
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
- शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
- पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में गंगाजल लेकर शिवलिंग की पूजा करें।
- पाठ के दौरान दूसरों की तरफ मुँह न फेरें।
- पाठ के बाद शिवलिंग को जल अर्पित करें और शिवजी का आरती करें।
- शिव चालीसा के पाठ से भक्तों को चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
- पाठ करते समय ध्यान लगाएँ और मन को शुद्ध रखें।
- चालीसा के पाठ के बाद शिवजी की आरती उतारें।
- अधिक से अधिक शिव भक्तों को इस पाठ का लाभ प्राप्त करना चाहिए।
इसे भी पढ़ें-
- हनुमान चालीसा आरती सहित