शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वालाshivraati ka din aa geya sajh geya damru vala

शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वालाshivraati ka din aa geya sajh geya damru vala

शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला,
बैल पे चढ़ के आ गया गौरा को ब्याहने वाला,
ये कैसी अजब बारात इस के भुत प्रेत है साथ देखो कैसा वेश निराला,
शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला

अरे बाजे है ढोल नगाड़े भूतो के लगे हुंकारे,
सज गई है चुडैलें सारी ये छम छम नाचे सारे
तन बसम रमा के आ गया पी कर के भांग का प्याला,
शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला

मस्तक पे चंगा सोहे और जटा से गंगा बहती,
ये लगे मदारी पूरा है साथ में कुंडा सोटी,
ले कान में बिच्छू आ गया गले नाग की पेहने माला,
शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला

ये तीनो लोक का स्वामी मेरा भोला अन्तर्यामी,
है आधी अनादि भोले महिमा वेदो ने बखानी
गोरा के मन को भा गया गिरी शिवशंकर मतवाला
शिवरात्रि का दिन आ गया सज गया डमरू वाला

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