महाकाल अपने दर पे बुलाले mahakal apne dar pe bulale
महाकाल बाबा उज्जैन वाले,
जीवन मेरा तेरे हवाले,
दर दर भटका पड़ गए छाले,
मुझको तू उज्जैन बुलाले,
मैं तो न जाऊ किसी दर पे,
तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले अपने दरबार मे तू बुलाले…..
साँचा दरबार है करलो दीदार है,
बेल पत्री तू आके चढ़ा दे,
तेरी झोली भरे हाँथ सर पर धरे,
बात दिल की तू इनको सुना दे,
सब भक्तो का काम किया है,
किस्मत से भी ज्यादा दिया है,
मैं तो न जाऊ किसी दर पे,
तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले अपने दरबार मे तू बुलाले…..
ये दयावान है ऐसे भगवान है,
तीनो लोको में इन सा ना दानी,
देव के देव है ये महादेव है,
इनकी ताकत को सबने है मानी,
इनके चरण का हो जा दीवाना,
मिल जाएगा तुझको ठिकाना,
मैं तो न जाऊ किसी दर पे,
तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले अपने दरबार मे तू बुलाले…..
सुनो उज्जैन के वासी काट दो यम की अब फांसी,
तुम्हारा नाम गाता हु तुम्हे हर पल मनाता हूं,
बैठ नंदी पर अब आओ सांथ में गोरा को लाओ,
“प्रेमी” की झोलिया भरना आज देरी नही करना,
मैं तो न जाऊ किसी दर पे,
तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले अपने दरबार मे तू बुलाले…..