प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगियाpraani lok mujhe bhi le chal bhole jogiyan
प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगिया,
होके नन्द पे सवार जाऊ केलाश पार धरती घुमं दे
पापियों के पाप से भरा है सारा संसार
कही फेला भ्रष्टाचार कही हॉवे अना चार
छुपा स्वार्थ मन में जन जन में
प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगिया
डमरू धर मोहे यु न उलजाओ बातो के इस जाल में
भोली गोरा फस जायगी तू माया नगरी की चाल में
तूने बनाई कैसी धरती जा सकू किसी तान में
जब कोई मन से पुकारे तुझे गोरा
कोई कहे कुछ अगर तब जाना न ठहर जऊ बन ठन के
प्राणी लोक मुझे भी ले चल भोले जोगिया
सुन गोरा धरती पे है छाया ये कलयुग घनघोर हो
नाथ चले जब संग में तो रात भी लगे मुझे कोर हो
सोच ले फिर से बात ये अपनी फिर न होना तंग
ओह्गड़दानी तुझ संग बिताया जीवन नही डर कोई भये ना कोई संशे
पापियों के पाप से भरा है सारा संसार
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