कृष्ण जन्माष्टमी भजन लिरिक्स | Krishna Bhajan Lyrics

 कृष्ण जन्माष्टमी भजन लिरिक्स | Janmashtami Bhajan Lyrics

Table of Contents

1. मुरली बैरन भई

मुरली बैरन भई,
हो कन्हीया तेरी मुरली बैरन भई |
बावरी मै बन गयी,
कन्हीया तेरी मुरली बैरन भई ||

वृन्दावन की कुंज गली मे राधा गयी दिल हार |
अब अखियन की मस्त गली मे कन्हीया फिरे बार बार |
सोतन मेरे मन को हर गयी ||

प्यार जाता के तन मन लूटा,
पीछे पड़ा बईमान |
यमुना तट पर ले गया नटखट,
मधुर सुनाई तान |
जिगर के पार उतर गयी रे ||


2. मेरे कहना पे टोना कर गयी, गवालिन मस्तानी

मेरे कहना पे टोना कर गयी, गवालिन मस्तानी |
गवालिन मस्तानी, गवालिन दीवानी ||

चटक मटक को मेरो कहना, लागे प्यारो प्यारो |
रूप सोलोनो, मेरे कुंवर को, जग को दे उज्यारो |
मेरे कहना के पीछे पड़ गयी, गवालिन मस्तानी ||

नयी गुजरिया मेरे घर मे, जाने कहाँ से आ गयी |
नज़र घूर के ऐसो देखो, कहना को नज़र लगा गयी |
जाने कहा से आ कर मर गयी, गवालिन मस्तानी ||

आओ सखियो मेरे लाल की, कोई नज़र उतारो |
गवालिन ने आये के मेरे लाल पे, ऐसो जादू डारो |
मेरे कहना पे नीयत धर गयी, गवालिन मस्तानी ||

3. नाचे कृष्ण मुरारी, आनंद रस बरसे रे


नाचे कृष्ण मुरारी, आनंद रस बरसे रे |
नाचे दुनिया सारी, आनंद रस बरसे रे ||

नटखट नटखट हैं नंदनागर, मारे कंकर फोड़े गागर |
चोरी कर कर माखन खावे, फिर भी गोपीयन के मन भावे |
सब जावे बलिहारी, आनंद रस बरसे रे ||

यमुना तट पर गाय चराए, वट पर बैठा बंसी बजाये |
सावल सावल सब का प्यारा, दाऊ का भईया, नन्द दुलारा |
काँधे कमली काली, आनंद रस बरसे रे ||

मोर मुकट पीताम्बर तन पे, तन मन वारी मनमोहन पे |
जो देखे उस के मन भावे, भक्तो पर करुना बरसावे |
संग वृषभानु कुमारी, आनंद रस बरसे रे ||

काहना जी से प्रीत लागलो, अपने ह्रदय के बीच बसलो |
नाचो भक्तो मिल कर नाचो, सावरिया के रंग मे राचो ||
नाचे बांके बिहारी, आनंद रस बरसे रे ||

4. मेरो छोटो सो कन्हीया बड़ो प्यारो लागे री


मेरो छोटो सो कन्हीया बड़ो प्यारो लागे री |
प्यारो लागे री, बड़ो प्यारो लागे री ||

जाके सर पे मुकुट विराज रहे री |
वाकी लत घुंघरारी बड़ी प्यारी लागे री ||

वाके नैना मतवारे, रतनारे लागे री |
मेरे मन मे वो जैसे कोई पीर लागे री ||

प्यारी प्यारी मृदु मुस्कानी न्यारी लागे री |
वाकी चाल मतवारी गजवारी लागी रे ||

वाको देखे बिना नैन मे ना चेन ना आवे री |
वाकी छवि सुधि करी सारी रात जावे री ||

5. मेरे मनमोहना आओ, मेरे मन मे समां जाओ


मेरे मनमोहना आओ, मेरे मन मे समां जाओ |

आ जाओ मथुरा सूनी, बृज की गलिया भई सूनी |
एक बार मुरलिया की वो, धुन अपनी सूना जाओ ||

माखन हित मईया के, बाबा के आँगन मे,
पग ठुमक तुमक छम छम , पैंजनी छनका जाओ ||

यमुना तट वंसी वट पे, राधा और सखियन संग ले,
हे रास बिहारी बनवारी, वो रास रचा जाओ ||

सखिया ये तड़पती है बृज गवाल विलखते हैं |
इनकी विरह अग्नि को तुम आ के भुझा जाओ ||

6. मेरे गिनियो ना अपराध, लाडली श्री राधे


मेरे गिनियो ना अपराध, लाडली श्री राधे |
लाडली श्री राधे, किशोरी श्री राधे ||

माना कि मैं तो पतित बहुत हूँ |
पतितपावन तेरो नाम ||

जो तुम मेरे अवगुण देखो,
उनका नहीं है हिसाब ||

अष्ट सखिन मे, कोटि गोपीन मे,
लिख लीजो मेरा भी नाम ||

7. आरती बाल कृष्ण की कीजे

दोहा: जिस घर मे हो आरती, चरण कमल चित लाये,
ताहा हरि वासा करें जोती अनंत जागे |

आरती बाल कृष्ण की कीजे |
अपनों जन्म सफल कर लीजे ||

श्री यशोदा को परम दुलारो |
बाबा की अखियन को तारो |
गोपिन के प्रानन ते प्यारो |
इन पे प्राण नौछावर कीजे ||

बलदाऊ को छोटो भैया |
कनुआ कह कह बोले मैया |
परम मुदित मन लेत बलिया |
यह छवि नैनन मे भर लीजे ||

श्री राधावर सुबर कन्हीया |
ब्रजजन को नवनीत खविया |
देखत ही मन लेत चुरुया |
अपनो सर्वस इन को दीजे ||

तोतरी बोलन मधुर सुहावे |
सखन संग खेलत सुख़ पावे |
सोई सुखति जो इनको ध्यावे |
अब इन को अपनो कर लीजे ||

8. श्याम माखन चुराते चुराते, अब तो दिल भी चुराने लगें हैं

श्याम माखन चुराते चुराते, अब तो दिल भी चुराने लगें हैं |
राधा रानी को ले कर कन्हिया, अब तो रास रचाने लगें हैं ||

देवकी के गर्भ से जो जाए, माँ यशोदा के लाल कहाए |
ग्वाल बालों के संग मे कन्हिया, अब तो गौए चराने लगें हैं ||

मोह ब्रह्मा का जिस ने घटाया, मान इन्द्र का जिस ने मिटाया |
स्वम बन कर पुजारी कन्हिया, अब तो गिरिवर पूजाने लगें है ||

श्याम ने ऐसी वंसी बजायी, तान सखिओं के दिल मे समायी |
राधा रानी को ले कर कन्हिया, रास मधुवन रचाने लगें है ||

दीन बंधु ज़माने के दाता, संत भक्तो के है जो विधाता |
दया ले कर शरण राधा रानी की, उनका गुणगान गाने लगें है ||

9. जय जय राधा रमण हरि बोल

दोहा: अपने हरि को हम दूंढ लीओ, जिन लाल अमोलक लाख मे |
हरि के अंग अंग मे नरमी है जितनी, नरमी नाही वैसी माखन मे ||
छवि देखत ही मै तो झाकी रही, मेरो चित चुरा लीओ झांकन मे |
हियरा में बसो, जियरा में बसो, प्यारी-प्यारे बसो दऊ आखन में ||
लाडली-लाल बसो, श्यामा-श्याम बसो दऊ आंखन में ||

जय जय राधा रमण हरि बोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||

नव नागर किशोर, नवल रसिया |
प्यारो ब्रज को छैल काहना, मन वसिया ||
करीं कालिंदी फूल किलोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||

अखियन काजर, मृग छोना सो |
नख बेसर जादू टोना सो ||
दऊ रस के भरें हैं कपोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||

अंगडाई ले मृधू मुस्कान पे,
कजरीली तिरछी चितवन पे,
शुक्दास बिका बिन मोल |
जय जय राधा रमण हरि बोल ||

10. हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना

हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना |
लागी लगन मत तोडना, प्यारे लागी लगन मत तोडना ||

खेती बोआई मैंने तेरे नाम की,
मेरे भरोसे मत छोडना |
हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना ||

जल है गहरा, नाव पुरानी,
बीच भवर मत छोडना |
हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना ||

तूही मेरा सेठ है, तू ही साहूकार है
ब्याज पे ब्याज मत जोड़ना |
हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना ||

11. मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे चरणन में

मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे चरणन में |
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे चरणन में ||

तेरी ऊँची अटारी प्यारी, मैं वारी तेरी गलियन पे |
मेरी जीवन की हो जाये भोर, किशोरी तेरे चरणन में ||

तू एक इशारा कर दे, मई दौड़ी आऊं बरसाने |
मैं तो नाचूं बन कर मोर, किशोरी तेरे चरणन में ||

मेरा पल में भाग्य में बदलदे इशारा तेरी करुणा का |
मेरे जन्मों की कट जाए डोर, किशोरी तेरे चरणन में ||

थक सा गया हूँ जगत झंझट में स्वामिनी बाल में तुम्हारा |
भाव सागर में डूब रहा है सूजत नाही किनारा ||
ऐसे दीन अनाथ को तुम को कौन सहारा |
आओ और पकड़ लो उंगली अपना जान दुलारा |

मेरी आहों से झोली भर दे तू बस जा तन मन में |
मुझे ढूंढें नन्द किशोर, किशोरी तेरे चरणन में ||

12. जय राधा माधव, जय गोपी जन, श्री वृन्दावन धाम

दोहा : श्रीराधे वृषभानुजा, भक्तन प्राणाधार |
वृन्दा विपिन विहारिन्नी , प्रन्नावो बारम्बार ||
जैसो तैसो रावरो, कृष्ण-प्रिया सुखधाम |
चरण शरण निज दीजियो, सुन्दर सुखद ललाम ||

जय राधा माधव, जय गोपी जन, श्री वृन्दावन धाम |
जय कालिनिदी, कूल लता, जय सुभग कुञ्ज अभिराम ||
जयति नन्द कुल, कुमुद कलाधर, कोटि काम छवि धार |
जय कीरति कुल, नवल च्द्रिका रसिक किशोरी ललाम ||
जयति नवनागरी रूप गुण आगरी, सकल सुख सागरी, कुवरी राधा |
जाती हरी भामिनी, शाम अर्धांगिनी, हरी प्रिया श्री राधा ||

प्रिय राधे प्रिय राधे, राधे राधे प्रिया प्रिया |
प्रिय श्यामा, प्रिय श्यामा, श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

राधे राधे प्रिया प्रिया, श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया |

सर्व सदग्रंथ का सार जानो इसे,
श्री कृष्ण का मोहिनी मंत्र मानो इसे |
जाप कर इसका पापी अधम तर गए,
सैंकड़ो अपना जीवन सफल कर गए ||
ध्यान श्यामा के चरणों का करते रहो,
स्वास प्रति स्वास मन्त्र यही जपते रहो |
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

मन्त्र की साधना जो ना अपनावे,
फंस के विषयों में जाने किधर जावे |

मन्त्र जपने से भवसिंधु तर जावे,
सुख सहित संतो से संग पावे |
श्याम सुंदर भी मन्त्र जपते जपते रहे |
प्रेम में राधिका नाम कहने लगे ||
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

रास लीला में एक दिन राधा ना थी,
श्याम ललिता से बोले उनको बुला लीजिये |
मुस्कुरा के ललिता यह कहने लगी,
उनको मुरली सुना के मन लीजिये |
हस के श्याम मुरलिया बजने लगे,
और मुरली की धुन में येही गाने लगे |
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

तान बंसरी की सुन, श्री राधिका चल पड़ी |
रास मंडल में थी साड़ी सखिया खड़ी ||
यह निराली अदा श्याम सिखला रहे |
देवता पुष्प थे सब पे बरसा रहे ||
कौन आया कौन गया यह कुछ भी पता नहीं |
मिल के सब एक स्वर में कहने लगे ||
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

श्री राधिका श्याम सुन्दर के संग हो खड़ी,
रास मंडल की छोभा बढाने लगी |
राधा मोहन की मनमोहनी छबि निरख,
गोपिया नाचने और गाने लगीं |
बज रहे डोलना, छेने, मृदंग,
सब के मुख से निकल रहे यही बोल थे |
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

श्याम उद्धव से एक दिन कहने लगे,
मधुपुरी का यह वैभव सुहाता नहीं |
क्या बताऊँ तुम्हे मेरे प्यारे सखा,
प्रेम ब्रज वासिओ का मैं भुला पाता नहीं |
इतना कहते ही सरकार आसूं बहाने लगे,
श्याम हो के विकल्प एही कहने लगे ||
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

रुकमनी से कहा एक दिन श्याम ने,
द्वारिका में भी मनमौज मैं पाता नहीं |
जिन्हों ने निछावर मुझ पर सर्वस किया,
उनके ऋण से उऋण हो पाता नहीं |
आ गयी याद ब्रिग्दिन्हू बहाने लगे,
प्रेम में मस्त हो श्याम यह कहने लगे ||
जय राधे राधे प्रिया प्रिया |
जय श्यामा श्यामा प्रिया प्रिया ||

13. मेरे नटवर नन्द किशोर, प्यारे आ जाओ माखन चोर

मेरे नटवर नन्द किशोर, प्यारे आ जाओ माखन चोर |
प्यारे आ जाओ, प्यारे आ जाओ ||

मेरे मोहन चले आओ, तेरी राधा बुलाती है |
तेरे बिन मेरा जी ना लगे, तेरी याद सताती है ||

प्रभु प्रेम के अक्षर ढाई पड़े, पड़ना फिर आगे को वेद है क्या |
हसना कभी अश्रु विमोचन है, उर कंप शरीर में सेद है क्या ||
जब प्रेम परस्पर है हममे, चलो आओ मिले अब खेद है क्या |
तुम हो हम में, हम हैं तुम में, तुम में हम में फिर भेद है क्या||

तेरा दर्शन पाने को मेरे नैना तरसते हैं |
तेरी याद में यह श्यामा, दिन रात बरसते हैं |
यह विरह की अग्न्नी, मुझ रह रह जलती हैं ||

भूलने वाले से कोई कहदे जरा,
यूँ किसी को सताने से क्या फ़ायदा |
जब मेरे दिल की दुनिया बसाते नहीं,
हर घडी याद आने से क्या फायदा ||

चार तिनके जलाने से क्या फ़ायदा,
मिट सका ना मेरा वजूद |
मुझ पे बिजली गिराते तो कुछ बात थी,
आशिआना जलाने से क्या फ़ायदा |
देखते देखते तुम बदलते गए,
आते आते बड़ा इन्कलाब आ गया |
सहते सहते सितम से मैं घबरा गया,
जान ले लो रुलाने से क्या फ़ायदा |
तुने अंजामे उल्फत को देखा नहीं,
कोई होशिआरी भी काम आ ना सकी |
आँख लडती गयी, राज़ खुलते गए,
हाल-ए-दिल को छुपाने से क्या फ़ायदा |

चरणों की दासी हूँ, चरणों में ही रहना है |
जल्दी से चले आओ, श्याम तुमसे ही कहना है |
कहीं दम ना निकल जाए, मेरी नींद उड़ जाती है ||

द्वापर तो बीत गया, कलयुग भी जा रहा है |
अपनों को कोई ऐसे भला क्यूँ तड़पाता है |
कहीं रुत्त ना बदल जाए, मेरी आँख भर आती है ||

14. मन मोह लिया कुण्डला वाले ने 

मन मोह लिया कुण्डला वाले ने ।
बंसी दी तान सुना के,
सोहने रूप दा जादू पा के,
नैना दे तीर चला के ।
मन मोह लिया पीत पट वाले ने ॥

भरी भराई रह गयी मटकी,
चलदी दूध मधानी अटकी,
वैरण बंसी मन विच खटकी,
मेरा ले गयी चित्त चुरा के ।
मन मोह लिया कुण्डला वाले ने ॥

सयीओ नी मैं हो गयी चल्ली,
पीर विछोड़े वाली सल्ली.
पिया मिलन नू कल्ली चल्ली,
पगवा भेस बना के ।
मन मोह लिया कुण्डला वाले ने ॥

सयीओ पंथ प्रेम दा औखा,
चलना औखा ते कहना सौखा,
श्याम मिलन दा येही मौका,
लाभदा आप गवा के ।
मन मोह लिया कुण्डला वाले ने ॥

की दस्सा कुज्ज वस ना मेरे,
पांदी गलियाँ सो सो फेरे,
आजा प्रीतम सांझ सवेरे,
रूप अनूप सजा के ।
मन मोह लिया कुण्डला वाले ने ॥

15. ए श्याम तेरी बंसी की कसम

ए श्याम तेरी बंसी की कसम, हम तुमसे मोहोबत कर बैठे ।
इस दिल के सिवा कुछ और न था, यह दिल भी तुम्हारा कर बैठे ॥

हम रंग गए तेरे रंग में, ओ सावरे सुन ले अरज मेरी ।
कुछ खोया भी कुछ पाया भी, तेरी प्रीत से झोली भर बैठे ॥

पलकों में छिपा कर श्याम तुझे तन मन कुर्बान किये बैठे हैं ।
पकड़ा जब तेरे दामन को, जीने का सहारा कर बैठे ॥

मगरूर हुआ क्यूँ कर लेकिन, जरा सामने आ सूरत तो दिखा ।
कमजोर है दिल दीवाने का, श्याम इतना किनारा कर बैठे ॥

तस्वीर को तेरी जब देखा, मदहोश हुआ, बेहोश हुआ ।
देखा जब तेरी सूरत को सजदे में जुकाए सर बैठे ॥

16. नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया 

नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया ।
पसंद आ गया, मेरे मन को भा गया ॥

काली कमली बांकी चितवन,
वा पे वारूँ मैं तो तन मन,
सुनरी सखी वो मेरे मन को भा गया ।
नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया ॥

मोर मुकुट और मुरली वारो,
तिरछी तिरछी चितवन वारो,
ब्रिज का वो ग्वाला, मेरा मन चुरा गया ।
नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया ॥

जब कहना की मुरली बाजे,
पतझड़ भी सावन सा लागे,
मुरली की धुन पे सब को नचा गया ।
नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया ॥

जब कहना मेरा होरी खेले,
ब्रिज गोपीन के गूंगट खोले,
अपनी अदाओं पे सब को फस गया ।
नी मैनू संवारा सलोना पसंद आ गया ॥

17. कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला

कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।
घनश्याम की अदाओं ने बेमौत मार डाला ॥

क्या पूछते हो हमसे, पहचान उनकी क्या है ।
सर पे मुकुट है बांका, गल वैजन्ती माला ॥

कुंडल कपोल बांके, है नयन इनके बांके ।
बंसी मधुर बजाये, है श्याम रंग का काला ॥

माधव की छबि बांकी, चितवन है उनकी बांकी ।
है कमल नैन बांके, बांका हैं नन्द का लाला ॥

18. किशोरी सुंदरी श्यामा, तूही सरकार मेरी है।

किशोरी सुंदरी श्यामा, तूही सरकार मेरी है।
नहीं है और से मतलब फकत इक आस तेरी है॥

किशोरी सुंदरी श्यामा, मुझे विरहा ने घेरी है।
दर्श की जो कृपा कीजो, की काहे को देरी है॥

टहल बक्शो महल निज की, विनय कर जोर मेरी है।
सरस यह माधुरी दासी, तेरे चरणों की चेरी है॥

19. नाम वाली पींग दे हुलारे खा के वेख लै।

नाम वाली पींग दे हुलारे खा के वेख लै।
एक वारि श्यामा दे द्वारे आके वेख लै॥

पीले राधा नाम वाला अमृत दा प्याला तू।
उठदा सरूर फेर दिखदा निराला तू।
प्रेम नाल राधे राधे राधे गा के वेख लै॥

जीना राधा नाम वाली रटना लगाईं ए।
श्याम सलोना बना उनका सहाई ए।
ऐना प्रेमिया दे नाल रल के, तूवी गाके वेख लै॥

मस्ती दे नाल जेहड़े राधे राधे गांदे ने।
बांके बिहारी ओहनू वृन्दावन बुलांदे ने।
किवे चढ़दी ए नाम वाली खुमारी एक वारी आ के वेख लै॥

श्यामा दे द्वारे उते, अलख जगाई ए।
नाम वाली खैर राधे चोली विच पाई ए।
बनके दीवाना ओहदा नचके तू देखले॥

श्यामा जी दे भक्तां दी रहन्दी उच्ची शान ए।
सतरंगी पींग चढ़दी देख्दा जहाँ ए।
रेहमता दे वग रहे दरेआ आके वेख ले॥

20. वे मैं नचना तेरे नाल, जग नू नचान वालेया।

वे मैं नचना तेरे नाल, जग नू नचान वालेया।
तू वी नच लै अज्ज सादे नाल, जग नू नचान वालेया ॥

नित तू नचावे अज तेनु नाचावंगे,
रुस जेगा ओह ते हत्थ जोड़ के मनावागे,
अज नच के तू करदे नेहाल, जग नू नचान वालेया॥

तन वी है रंगना ते मन वी है रंगना।
अज तेरे नाल श्यामा अंग अंग रंगना।
आजा बंसरी वजा तू साडे नाल, जग नू नचान वालेया॥

जग दी हुण सानू कोई परवाह नहीं,
तेरे जेहा बेड़ियाँ दा कोई वी मलाह नहीं।
भावे डोब जा भावे कर पार, जग नू नचान वालेया॥

अज वी ना नाचेओ ते दस कदो नचेगा।
प्रेमिया दे हाड़ेया तो किना चिर बचेगा।
आना पयेगा हो के दयाल, जग नू नचान वालेया॥

गोपियाँ वी होणगीयां ते ग्वाले वी होणगे।
रल मिल नाल तेरे, रास रचाणगे।
आजा लै के तू राधा जी नू नाल, जग नू नचान वालेया॥

हुण वी ना नाचेओ ते यारी टूट जायेगी।
तेरे नाल श्यामा सारी संगत रूस जाएगी।
ग्वाले रूस जाणगे एह गोपी रूस जायेगी।
आजा नच के तू कर दे कमाल, जग नू नचान वालेया॥

नच ले वे श्यामा हुन कहणु शर्माना ए।
कर के इशार्रे क्यों लुक लुक जान ए,
लुक लुक जान ए ते क्यों तडपाना ए।
जदों मन लिया तेनु अपना यार,जग नू नचान वालेया॥

तूही मेरा यार ते प्यार वी तू है।
दिल वी तू दिलदार वी तू है।
तूही मेरे सर सिरताज वी तू ही है।
तूही मेरा दरद ते दावा भी तू है।
तूही मेरा जिगर ते जान वी तू है।
आज नच के ते देदे प्यार, जग नू नचान वालेया॥

21. श्री राधा हमारी गोरी गोरी

श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी, कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्यारो, श्री राधा जी को प्यारो है॥

श्री श्यामा किशोरी,
गोरे मुख पे तिल बनेओ, ताहि करूँ मैं प्रणाम।
मानो चन्द्र बिछाई के पौढ़े सालगराम॥

राधे तू बडभागिनी, कौन तपस्या कीन,
तीन लोक का रणतरण वो तेरे आधीन॥

कीर्ति सुता के पग पग में प्रयागराज,
केशव की केलकुंज कोटि कोटि काशी है।
यमुना में जगनाथ रेणुका में रामेश्वर,
थर थर पे पड़े रहें अयोध्या के वासी हैं।
गोपीन के द्वार द्वार हरिद्वार वसत यहाँ,
बद्री केदारनाथ फिरत दास दासी हैं।
सवर्ग अपवर्ग सुख लेकर हम करें कहाँ,
जानते नहीं हम वृन्दावन वासी हैं॥

योगी जन जान पाते है ना जिस का प्रभाव,
जिस की कला का पार शारदा न पाती है।
नारद आदि ब्रहम वादीओ ने भी न पाया तत्व,
दिव्य दिव्य शक्तियां भी नित्य गुण गातीं हैं।
शंकर समाधी में ढुंढते हैं जिसको,
श्रुतियां भी नेति नेति कह हार जातीं हैं।
वो नाना रूप धारी विष्णु मोहन मुरारी,
उस विष्व के मदारी को गोपियाँ नाचतीं हैं॥

श्याम तन श्याम मन श्याम ही हमारो धन,
आठों याम उधो हमें श्याम ही सो काम है।
श्याम हिये श्याम जीय श्याम बिनु नहीं पिय,
अंधे की सी लाकडी आधार श्याम नाम है।
श्याम गति श्याम मति श्याम ही है प्रानपति,
श्याम सुखधाम सो भलाई आठो याम है।
उधो तुम भये भोरे पाती ले के आये दोड़े,
योग कहाँ राखें यहाँ रोम रोम श्याम है॥

गवार से राजकुमार भये, जब भानु के द्वार लो आन लगें हैं।
बंसरी की उभरी है कला, जब किरिती किशोरी के गाने लगें हैं।
राधिका के संग फेरे पड़े, तब से कहना इतराने लगें हैं॥

हमरी राधा की कौन करे होड़,
सुनो रे प्यारे नन्द गईया।

राधा हमारी भोरी भारी,
यो तो छलिया माखन चोर।

देखो तेरे कनुआ की छतरी पुराणी,
वा की छतरी की कीमत करोड़।

चार टके की तेरी कारी कमरिया,
या की चुनरी की कीमत करोड़।

देखो तेरे कनुआ को मुकुट झुको है,
हमरी राधा के चरनन की और।

ब्रजमंडल के कण कण में बसी तेरी ठकुराई।
कालिंदी की लहर लहर ने, तेरी महिमा गाई॥
पुलकत हो तेरा यश गावे, श्री गोवर्धन गिरिराई।
ले ले नाम तेरो मुरली में नाचे कुवर कहनाई॥

22. लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में है।

लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में है।
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
बेसहारों को सहारा तेरे बरसाने में है ॥

झांकीया तेरे महल की कर रहे सब देवगण।
आगया बैकुंठ सारा तेरे बरसाने में है॥

हर लता हर पात में है तेरी दया की वो झलक।
हर घडी यशोमती दुलारा तेरे बरसाना में है॥

अब कहाँ जाऊं किशोरी तेरे दर को छोड़ कर।
मेरे जीवन का सहारा तेरे बरसाने में है॥

यूँ तो सारे बृज में ही है तेरी लीला का प्रताप।
पर अनोखा ही नज़ारा, तेरे बरसाने में है ॥

मैं भला हूँ या बुरा हूँ पर तुम्हारा हूँ सदा।
अब तो जीवन का किनारा तेरे बरसाने में है॥

23. कोई पीवे संत सुझान

कोई पीवे संत सुझान,
नाम रस मीठा रे ॥

राजवंश की रानी पी गयी, एक बूँद इस रस का।
आधी रात महल तज चलदी, रहू न मनवा बस का।
गिरिधर की दीवानी मीरा, ध्यान छूटा अप्यश का।
बन बन डोले श्याम बांवरी लगेओ नाम का चस्का॥

नामदेव रस पीया रे अनुपम, सफल बना ली काया।
नरसी का एक तारा कैसे जगतपति को भाया।
तुलसी सूर फिरे मधुमाते, रोम रोम रस छाया।
भर भर पी गयी ब्रज की गोपिका, जिन सुन्दरतम पी पाया॥

ऐसा पी गया संत कबीर, मन हरी पाछे ढोले,
कृष्ण कृष्ण जय कृष्ण कृष्ण, नस नस पार्थ की बोले।
चाख हरी रस मगन नाचते शुक नारद शिव भोले।

कृष्ण नाम कह लीजे, पढ़िए सुनिए भागती भागवत, और कथा क्या कीजे।
गुरु के वचन अटल कर मानिए, संत समागम कीजे।
कृष्ण नाम रस बहो जात है, तृषावंत होए पीजे।
सूरदास हरी शरण ताकिये, वृथा काहे जीजे॥

वह पायेगा क्या रस का चस्का, नहीं कृष्ण से प्रेम लगाएगा जो।
अरे कृष्ण उसे समझेंगे वाही, रसिकों के समाज में जाएगा जो।
ब्रिज धूलि लपेट कलेवर में, गुण नित्य किशोर के गायेगा जो।
हसता हुआ श्याम मिलेगा उसे निज प्राणों की बाजी लगाएगा जो॥

24. फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।

फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
और संग में सज रही है वृषभानु की दुलारी॥

टेडा सा मुकुट सर पर रखा है किस अदा से,
करुना बरस रही है, करुना भरी निगाह से।
बिन मोल बिक गयी हूँ, जब से छबि निहारी॥

बहिया गले में डाले जब दोनों मुस्कुराते,
सब को ही प्यारे लगते, सब के ही मन को भाते।
इन दोनों पे मैं सदके, इन दोनों पे मैं वारी॥

श्रृंगार तेरा प्यारे, शोभा कहूँ क्या उसकी,
इत पे गुलाबी पटका, उत पे गुलाबी साडी॥

नीलम से सोहे मोहन, स्वर्णिम सी सोहे राधा।
इत नन्द का है छोरा, उत भानु की दुलारी॥

चुन चुन के कालिया जिसने बंगला तेरा बनाया,
दिव्या आभूषणों से जिसने तुझे सजाया,
उन हाथों पे मैं सदके, उन हाथों पे मैं वारी॥

25. नंदलाल गोपाल दया करके

नंदलाल गोपाल दया करके, रख चाकर अपने द्वार मुझे।
धन दौलत और किसी को दे, बस देदे अपना प्यार मुझे॥

तन मन का ना चाहे होश रहे,
तेरा नाम ना विसरे भूले से।
तेरे ध्यान में इतना खो जाऊँ,
पागल समझे संसार मुझे॥

मैं निर्धन और गोकुल और मथुरा,
तेरे दर्शन को ना जा संकुं।
जब अपने मन में झाँकूँ मैं,
हो जाए तेरा दीदार मुझे॥

26. मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है।

मेरा गोपाल गिरधारी ज़माने से निराला है।
ना गोरा है ना कला है, वो मोहन मुरली वाला है॥

कभी सपनो में आ जाना, कभी रूपोश हो जाना।
यह तरसाने का मोहन ने निराला ढंग निकाला है॥

कभी वो रूठ जाता है, कभी वो मुस्कुराता है।
इसी दर्शन की खातिर तो बड़ी नाजो से पाला है॥

मज़े से दिल में आ बैठो, मेरे नैनो में बस जाओ।
अरे गोपाल मंदिर यह तुम्हारा देखा भाला है॥

कहीं उखल से बंद जाना, कही ग्वालो के संग आना।
तुम्हारी बाल लीला ने अजब धोखे में डाला है॥

27. किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥

जब गिरते हुए मैंने तेरे नाम लिया है।
तो गिरने ना दिया तूने, मुझे थाम लिया है॥

तुम अपने भक्तो पे कृपा करती हो, श्री राधे।
उनको अपने चरणों में जगह देती हो श्री राधे।
तुम्हारे चरणों में मेरा मुकाम हो जाए॥

मांगने वाले खाली ना लौटे, कितनी मिली खैरात ना पूछो।
उनकी कृपा तो उनकी कृपा है, उनकी कृपा की बात ना पूछो॥

ब्रज की रज में लोट कर, यमुना जल कर पान।
श्री राधा राधा रटते, या तन सों निकले प्राण॥

गर तुम ना करोगी तो कृपा कौन करेगा।
गर तुम ना सुनोगी तो मेरी कौन सुनेगा॥

डोलत फिरत मुख बोलत मैं राधे राधे, और जग जालन के ख्यालन से हट रे।
जागत, सोवत, पग जोवत में राधे राधे, रट राधे राधे त्याग उरते कपट रे॥

लाल बलबीर धर धीर रट राधे राधे, हरे कोटि बाधे रट राधे झटपट रे।
ऐ रे मन मेरे तू छोड़ के झमेले सब, रट राधे रट राधे राधे रट रे॥

श्री राधे इतनी कृपा तुम्हारी हम पे हो जाए।
किसी का नाम लूँ जुबा पे तुम्हारा नाम आये॥

वो दिन भी आये तेरे वृन्दावन आयें हम, तुम्हारे चरणों में अपने सर को झुकाएं हम।
ब्रज गलिओं में झूमे नाचे गायें हम, मेरी सारी उम्र वृन्दावन में तमाम हो जाए॥

वृन्दावन के वृक्ष को, मर्म ना जाने कोई।
डार डार और पात पात में, श्री श्री राधे राधे होए॥

अरमान मेरे दिल का मिटा क्यूँ नहीं देती, सरकार वृन्दावन में बुला क्यूँ नहीं लेती।
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार बार, चरणों में अपने हमको बिठा क्यूँ नहीं लेती॥

श्री वृन्दावन वास मिले, अब यही हमारी आशा है।
यमुना तट छाव कुंजन की जहाँ रसिकों का वासा है॥

सेवा कुञ्ज मनोहर निधि वन, जहाँ इक रस बारो मासा है।
ललिता किशोर अब यह दिल बस, उस युगल रूप का प्यासा है॥

मैं तो आई वृन्दावन धाम किशोरी तेरे चरनन में।
किशोरी तेरे चरनन में, श्री राधे तेरे चरनन में॥

ब्रिज वृन्दावन की महारानी, मुक्ति भी यहाँ भारती पानी।
तेरे चन पड़े चारो धाम, किशोरी तेरे चरनन में॥

करो कृपा की कोर श्री राधे, दीन जजन की ओर श्री राधे।
मेरी विनती है आठो याम, किशोरी तेरे चरनन में॥

बांके ठाकुर की ठकुरानी, वृन्दावन जिन की रजधानी।
तेरे चरण दबवात श्याम, किशोरी तेरे चरनन में॥

मुझे बनो लो अपनी दासी, चाहत नित ही महल खवासी।
मुझे और ना जग से काम, किशोरी तेरे चरण में ॥

किशोरी इस से बड कर आरजू -ए-दिल नहीं कोई।
तुम्हारा नाम है बस दूसरा साहिल नहीं कोई।
तुम्हारी याद में मेरी सुबहो श्याम हो जाए॥

यह तो बता दो बरसाने वाली मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा।
तेरी दया पर यह जीवन है मेरा, मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा॥

ना पूछो किये मैंने अपराध क्या क्या, कही यह जमीन आसमा हिल ना जाये।
जब तक श्री राधा रानी शमा ना करोगी, मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा॥

बहुत ठोकरे खा चूका ज़िन्दगी में, तमन्ना तुम्हारे दीदार की है।
जब तक श्री राधा रानी दर्शा ना दोगी, मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा॥

तारो ना तारो मर्जी तुम्हारी, लेकिन मेरी आखरी बात सुन लो।
मुझ को श्री राधा रानी जो दर से हटाया, तुम्हारे ही दर पे मैं दम तोड़ दूंगा॥

मरना हो तो मैं मरू, श्री राधे के द्वार,
कभी तो लाडली पूछेगी, यह कौन पदीओ दरबार॥

आते बोलो, राधे राधे, जाते बोलो, राधे राधे।
उठते बोलो, राधे राधे, सोते बोलो, राधे राधे।
हस्ते बोलो, राधे राधे, रोते बोलो, राधे राधे॥

28. मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया राधा रंग।

मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया राधा रंग।
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम का रंग रंग॥

ऐसी कृपा बरसाई है, मुझे नाम की मस्ती छाई है।
मैं हो गया राधा रानी का, वृन्दावन की महारानी का।
अब करो न कोई तंग, मुझे चढ़ गया राधा रंग॥

श्री राधा रानी के चरणों में जो तेरा प्यार हो जाता,
तो इस भाव सिंदु से तेरा ये बेडा पार हो जाता।
पकड़ लेता चरण गर तू श्री राधा रानी के,
तो पागल, तुझको मेरे श्याम का दीदार हो जाता॥

मैं छोड़ चुका दुनिया सारी, अब नहीं किसी से है यारी।
कोई कहता है दीवाना हूँ, पागल हूँ मैं मस्ताना हूँ।
मैं हो गया मस्त मलंग, मुझे चढ़ गया राधा रंग॥

जय राधे राधे, राधे राधे।
वृन्दावन में, राधे राधे।
यमुना तट पे, राधे राधे।
वंसी वट पे, राधे राधे।
कुञ्ज गली में, राधे राधे।
बांके बिहारी, राधे राधे।
हमारी प्यारी, राधे राधे।
सब की प्यारी, राधे राधे।
प्यारी प्यारी, राधे राधे।
जय राधे राधे, राधे राधे॥

29. तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।

तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥

सनकादिक तेरो यस गावे, ब्रह्मा विष्णु आरती उतारें।
देखो इंद्र लगावे बुहारी, राधा रानी हमारी॥

सर्वेश्वरी जगत कल्याणी, ब्रज की मालिक राधा रानी।
यहाँ कोई ना रहता भिखारी, राधा रानी हमारी॥

एक बार जो बोले राधा, कट जाएँ जीवन की बाधा।
कृपा करो महारानी, राधा रानी हमारी॥

30. ज़रा इतना बता दे कहना, तेरा रंग काला क्यों।

ज़रा इतना बता दे कहना, तेरा रंग काला क्यों।
तू काला होकर भी जग से निराला क्यों॥

मैंने काली रात को जन्म लिया।
और काली गाय का दूध पीया।
मेरी कमली भी काली है,
इस लिए काला हूँ॥

सखी रोज़ ही घर में बुलाती है।
और माखन बहुत खिलाती है।
सखिओं का दिल काला,
इस लिए काला हूँ॥

मैंने काली नाग पर नाच किया।
और काली नाग को नाथ लिया।
नागों का रंग काला,
इस लिए काला हूँ॥

सावन में बिजली कड़कती है।
बादल भी बहुत बरसतें है।
बादल का रंग काला,
इसलिए काला हूँ॥

सखी नयनों में कजरा लगाती है।
और नयनों में मुझे बिठाती है।
कजरे के रंग काला,
इस लिए काला हूँ॥

जय गोविन्द गोविन्द गोपाला।
जय मुराली मनोहर नंदलाला॥

31. कृपा सरोवर, कमल मनोहर

कृपा सरोवर, कमल मनोहर,
कृष्ण चरण गहिए, श्री कृष्ण शरण गहिए।

लीला पुरुषोतम राधावर,
राधा माधव भाव भाधा हर।
शरणागत रहिए, श्री कृष्ण शरण गहिए॥

आकर्षण के केंद्र कृष्ण है,
सुन्दर तम रसिकेन्द्र कृष्ण हैं।
कृष्ण कृष्ण कहिए,श्री कृष्ण शरण गहिए॥

सदा सर्वमय, हैं सर्वोत्तम,
क्यों ना ध्याये उनको सदा हम।
सकल लाभ लहिए, श्री कृष्ण शरण गहिए॥

32. सोभित कर नवनीत लिए।

सोभित कर नवनीत लिए।

घुटुरुनि चलत रेनु तन-मंडित, मुख दधि लेप किये।

चारू कपोल, लोल लोचन, गोरोचन-तिलक दिये।

लट-लटकनि मनु मधुप-गन मादक मधूहिं पिए।

कठुला-कंठ, ब्रज केहरि-नख, राजत रुचिर हिए।

धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख, का सत कल्प जिए॥

33. बरसे बदरिया सावन की।

बरसे बदरिया सावन की।
सावन की मन भावन की॥

सावन में उमंगयो मेरो मनवा।
झनक सुनी हरि आवन की॥

उमड़ घुमड़ चहुँ देस से आयो।
दामिनी धमके झर लावन की॥

नन्हे नन्हे बूंदन मेघा बरसे।
शीतल पवन सुहावन की॥

मीरा के प्रभु गिरिधर नगर।
आनंद मंगल गावन की॥

34. उधो मैया ते जा कहिओ

उधो मैया ते जा कहिओ,
तेरो श्याम दुःख पावे।

कोई ना ख्वावे मोहे माखन रोटी,
जल अचरान करावे।
माखन मिश्री नाम ना जानू,
कनुया कही मोहे कोई ना पुकारे॥

बाबा नन्द अंगुरिया गहि गहि,
पायन चलिबो सिखायो।
थको जान कन्हिया मेरो,
गोद उठावो और हृदय सो लगावे॥

गहर जन जाओ उधो, आज ही जावो ब्रज,
आवत है याद गोप और गईया की।
उठती है पीर, मनावे नहीं धीर
होस करत अधीर, वासु वंसिवट छईया की।
उन्हें समझायियो, आवेंगे दोउ भईया।
और जईयो नन्द रईया,
मेरो ले नाम उधो, कहिओ प्रणाम मेरो,
मईया के पायन में उधमी कन्हिया की॥

35. यह तो प्रेम की बात है उधो

यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।
यहाँ सर देके होते सौदे,
आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥

प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,
उनकी पूजा में सुन ले ए उधो।
यहाँ दम दम में होती है पूजा,
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है॥

जो असल में हैं मस्ती में डूबे,
उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की।
जो उतरती है चढ़ती है मस्ती,
वो हकीकत में मस्ती नहीं है॥

जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,
वो तो रहते हैं जग से न्यारे।
जिसकी नज़रों में मोहन समाये,
वो नज़र फिर तरसती नहीं है॥

36. राधे राधे जपो चले आयंगे बिहारी ।

राधे राधे जपो चले आयंगे बिहारी ।
आयेंगे बिहारी, चले आयेंगे बिहारी ॥

पाछे पाछे डोले हो के बांवारो मुरारी ।

राधा नाम जीभा पे मन में मुरारी ।

राधा पे तन मन वारे गिरिधारी ।

राधा कारण मोर बन नाचते मुरारी ।

चरण दबाए सेवा कुञ्ज में गोपाला ।

पाछे पाछे डोले बरसाने में बिहारी ।

एक बार राधा कहो ऋणी हो मुरारी ।

राधा जी कहे भव तार दे बिहारी ।

राधा के इशारे नाचे रास बिहारी ।

राधा नाम डोरी तो पतंग है मुरारी ।

राधा रानी चंदा, चकोर है बिहारी ।

राधा रानी मिश्री तो स्वाद है बिहारी ।

राधा रानी गंगा तो धार हैं बिहारी ।

37. मनहारी का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।

मनहारी का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेस बनाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

झोली कंधे धरी, उस में चूड़ी भरी।
गलिओं में चोर मचाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

राधा ने सुनी, ललिता से कही।
मोहन को तरुंत बुलाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

चूड़ी लाल नहीं पहनू, चूड़ी हरी नहीं पहनू।
मुझे श्याम रंग है भाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

राधा पहनन लगी श्याम पहनाने लगे।
राधा ने हाथ बढाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

राधे कहने लगी, तुम हो छलिया बढे।
धीरे से हाथ दबाया, श्याम चूड़ी बेचने आया॥

38. मुझे चरणों से लगाले मेरे श्याम मुरली वाले।

मुझे चरणों से लगाले मेरे श्याम मुरली वाले।
मेरी स्वास स्वास में तेरा है नाम मुरली वाले॥

भक्तो की तुमने काहना विपदा है टारी,
मेरी भी बाह थामो आ के बिहारी।
बिगड़े बनाए तुमने हर काम मुरली वाले॥

पतझड़ है मेरा जीवन, बन के बहार आजा,
सुन ले पुकार काहना बस एक बार आजा।
बैचैन मन के तुम्ही आराम मुरली वाले॥

तुम हो दया के सागर, जनमों की मैं हूँ प्यासी,
दे दो जगह मुझे भी चरणों में बस ज़रा सी।
सुबह तुम्ही हो, तुम्ही ही मेरी श्याम मुरली वाले॥

39. करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।

करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥

बार बार श्री राधे हमको वृन्दावन में बुलाना।
आप भी दर्शन देना बिहारी जी से भी मिलवाना।
यही है विनती बारम्बार, राधे अलबेली सरकार॥

तेरी कृपा से राधा रानी बनते हैं सब काम।
छोड़ के सारी दुनियादारी आगए तेरे धाम।
सुन लो मेरी करुण पुकार, राधे अलबेली सरकार॥

तेरी कृपा बिना श्री राधे कोई ना ब्रिज में आये।
तेरी कृपा जो हो जाए तो भवसागर तर जाए।
तेरी महिमा अपरम्पार, राधे अलबेली सरकार॥

वृन्दावन की गली गली में धूम मची हैं भारी।
श्री राधे राधे बोल बोल के झूम रहे नर नारी।
तेरी होवे जय जयकार, राधे अलबेली सरकार॥

40. मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार

मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी।

तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा पीला पटका।
तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका।
प्यारा लागे तेरा नीला पटका।
तेरे गुंगार वाले बाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका।
प्यारा लागे तेरा काला पटका।
तेरे गल में वैजयंती माल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,
नज़र तोहे लग जाएगी॥

41. बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा

बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा, फिर ना पूछो उस वक़्त क्या बात है।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा, फिर ना पूछो के कैसी मुलाक़ात है॥

यह ना चाहूँ के मुझ को खुदाई मिले, यह ना मुझ को बादशाही मिले।
ख़ाक दर की मिले यह मुकद्दर मेरा, इससे बढकर बताओ क्या सौगात है॥

हो गुलामी अगर आली दरबार की, यह खुदाई भी है बादशाही भी है।
दासी दर की भिखारिन बने जिस वक़्त, इससे बढकर बताओ की क्या बात है॥

गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो है।
श्री बांके बिहारी नंदलाल मेरो है॥

42. मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।

मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥

पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है।
हैरान है ज़माना मंजिल भी मिल रही है।
करता नहीं मैं कुछ भी, सब काम हो रहा है॥

तुम साथ हो जो मेरे, किस चीज की कमी है।
किसी और चीज की अब दरकार ही नहीं है।
तेरे साथ से गुलाम अब गुलफाम हो रहा है॥

मैं तो नहीं हूँ काबिल, तेरा पार कैसे पाऊं।
टूटी हुयी वाणी से गुणगान कैसे गाऊं।
तेरी प्रेरणा से ही सब यह कमाल हो रहा हैं॥

43. श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए।

श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए।
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥

राधे तेरी कृपा तो दिन रात बरसती है।
एक बूँद जो मिल जाए, मन की कलि खिल जाए॥

यह मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा भजन करूँ।
जितना इसे समझाऊं, उतना ही मचल जाए॥

नजरो से गिराना ना, चाहे जो भी सजा देना।
नजरो से जो घिर जाए, मुश्किल ही संभल पाए॥

राधे इस जीवन की बस एक तम्मना है।
तुम सामने हो मेरे, मेरा दम ही निकल जाए॥

44. दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन कर देख ज़रा।

दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन कर देख ज़रा।
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर चल कर देख ज़रा॥

दुनिया के चक्कर में पड़ कर, कई जनम युही बर्बाद किये।
अब शरण में श्यामा की आ कर, तू नाम सुमीर कर देख ज़रा॥

राधा नाम में कितनी मस्ती है, यह पूछो इन दीवानों से।
इस प्रेम के प्याले को प्राणी, एक बार तो पी कर ज़रा॥

जो भक्ति मार्ग पर चलते हैं, वो जग में अमर हो जाते हैं।
यह प्यार हकीकी श्यामा की, तू नींद से जग कर देख ज़रा॥

45. जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाही तोडू रे।

जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाही तोडू रे।
तोरी प्रीत तोड़ी कृष्णा, कौन संग जोडू॥

तुम भये तरुवर, मैं भयी पंखिया।
तुम भये सरोवर, मैं भयी मछिया॥

तुम भये गिरिवर, मैं भयी चारा।
तुम भये चंदा मैं भयी चकोरा॥

तुम भये मोती प्रभु जी, हम भये धागा।
तुम भये सोना, हम भये सुहागा॥

बाई मीरा के प्रभु बृज के बासी।
तुम मेरे ठाकुर, मई तेरी दासी॥

46. हरि मैं तो लाख यतन कर हारी।

हरि मैं तो लाख यतन कर हारी।
महलन ढूंढा, गिरिबन ढूंढा, ढूंढी दुनिया सारी॥

गोलुक कुंज गली में ढूंढा, ढूंढा वृन्दावन में।
डाल डाल से, फूल पात से, जा पूछा कुंजन में।
बीती की सब कहे हरि ना अब की कहे बनवारी॥

कोई कहे श्री राम है क्या या गौरी काली मैया।
मैं कहू नहीं गोपाल हैं वो एक बन में चरावे गैया॥

उमापति परमेश्वर नहीं, ना नारायण भयहारी।
मीरा का हृदय विहारी, मीरा का हृदय विहारी॥

अंग पीताम्बर मोरे मुकुट, सर माला गले सुहावे।
बहुरूपी बड़े रूप धरे, जिस नाम बुलावो आवे॥

मीरा कहे अब लाज रखो प्रभु आवो मुरली धारी॥

47. सताओ ना हमे उधो हमे दिल की बिमारी है।

सताओ ना हमे उधो हमे दिल की बिमारी है।
हमारा वैद दुनिया में तो बस बांके बिहारी हैं॥

संदेशा श्याम का लाये कटारी क्यूँ नहीं लाये।
जहर का प्याला ले आते ख़तम होती बिमारी यह॥

ना अब हम आँख खोलेंगे, ना मुख से कुछ भी बोलेंगे।
मिलादों श्याम से ए उधो, येही विनती हमारी है॥

मोहन कर गए वादा, मैं परसों लौट आउंगा।
परसों से हुए बरसो, नहीं सुध ली हमारी हैं॥

ना हमने भांग है खायी, ना विष का पान ही किया।
हमारे तन में और मन में, उन्ही की याद समायी है॥

48. सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।
बचायी थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥

ना जाने क्या किया जादू यह तकती रह गयी अखियाँ ।
चमकती हाय बरछी सी कलेजे गड़ गयी आखियाँ ॥

चहू दिश रस भरी चितवन मेरी आखों में लाते हो ।
कहो कैसे कहाँ जाऊं यह पीछे पद गयी अखियाँ ॥

भले तन से निकले प्राण मगर यह छवि ना निकलेगी ।
अँधेरे मन के मंदिर में मणि सी गड़ गयी अखियाँ ॥

49. मोहन से दिल क्यूँ लगाया है

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ।
छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥

हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेडापन ।
टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥

जितना दिल ने तुझे याद किया, उतना जग ने बदनाम किया ।
बदनामी का फल क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥

तेरे दिल ने दिल दीवाना किया, मुझे इस जग से बेगाना किया ।
मैंने क्या खोया क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥

मिलता भी है वो मिलता भी नहीं, नजरो से मेरी हटता भी नहीं ।
यह कैसा जादू चलाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥

50. बन गयी बन गयी बन गयी

बन गयी बन गयी बन गयी,
बिहारी जी मैं बन गयी तुम्हारी ।

मैं तो तेरे मुख की मुरलिया ।
तुम हो तान हमारी ॥

मैं तो तेरे माथे की बिंदिया ।
तुम हो चमक हमारी ॥

मैं तो तेरे आँखों की पुतली ।
तुम काजल की कारी ॥

मैं तो तेरे पाँव की पायल ।
तुम झंकार हमारी ॥

मैं तो तेरे दिल की धड़कन ।
तुम हो जान हमारी ॥

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