उज्जैनी में बाबा ने ऐसा डमरू बजायाujjaini me baba ne esa damru bajaya

उज्जैनी में बाबा ने ऐसा डमरू बजायाujjaini me baba ne esa damru bajaya

उज्जैनी में बाबा ने ऐसा डमरू बजाया
में सुध बुध भूल आया

कितना  प्यारा उज्जैनी यहां दरबार सजाया
मैं सुध बुध भूल आया

सुनाने को बाबा मैं ऐसा सुनाऊंगा
भजनों से भूले में जो तुमको रिझाऊंगा
डमरू की धुन में बाबा ऐसा नाद बजाया
मैं सुध बुध भूल आया

करूंगा मैं सेवा तेरी चरण पखारूंगा
नैनो से भोले हा  में तुमको निहारूंगा
दीपक दास ने महाकाल तुम्हारा ही गुण गाया
मैं सुध बुध भूल आया

उज्जैनी में बाबा ने ऐसा डमरू बजाया

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